क्या करे फौजी (ए )







दो देशो के बीच युद्ध चल रहा था। कहीं  तोप के गोले तो कहीं से बंदूक की गोलियों की आवाजें आ रही थी। बॉडर पर दोनों सेनाओं के सैनिक लड़ाई करने पर लगे हुए थे | रात का समय था गोलियों की आवाज के साथ-साथ गोला बारूद का धुँआ इतना ज्यादा था कि अपने सामने कोई खड़ा हो तो पता नहीं लगेगा। सभी फौजी अंदाजे के साथ अंधाधुन गोलियाँ चला रहे थे कि इतने में एक बम का गोला सेना की एक टुकड़ी के पास आकर गिरता है। 


कुछ फौजी तो मर जाते हैं और कुछ बचे हुए फौजी अपनी जान बचाने के लिये इधर-उधर भागते हैं। उसी हड़बड़ाहट में एक फौजी ढलान से लुढ़कता हुआ नीचे गिरता है और उसका सर एक पत्थर पर जाकर लगता  है। 

उसका सर चकरा रहा होता है और बदन  में दर्द हो रहा होता है। लेकिन उस दर्द से ज्यादा एक और दर्द था, अपने घर का, अपनी भूढी माँ का और बहन का जिन्हे वो घर छोड़ आया था। 

तभी उसे एक आवाज आती है : पानी-पानी !

उसके पैर में एक घाव होने के कारण वो चल कर इधर-उधर जा तो नहीं सकता था लेकिन मदद की पुकार सुनकर वो अपने पास पड़ी पानी की बोतल उछाल कर, आवाज की तरफ फैकता है। 

आवाज  के अंदाजे से वो ये कह सकता था की दूसरा फौजी उसके दाई ओर कुछ 3-4 मीटर पर ही होगा। 

पहला फौजी : लो भाई पानी !

(वहाँ से कुछ देर बाद आवाज आती है )

दूसरा फौजी : धन्यवाद भाई !

दोनों के चोट लगने के कारण वो अपनी जगह से नहीं हिल पाते और रात व धुएँ की वजह से देख भी नहीं पाते।

(कुछ देर की चुप्पी के बाद )

दूसरा फौजी : अरे भाई तुम्हे कितनी चोट आयी है ?

पहला फौजी : तुम्हारे पास फर्स्ट ऐड किट या पट्टी है ?

दूसरा फौजी : हाँ, ये लो भाई।

जवाब में वँहा से एक छोटी फर्स्ट ऐड किट आती है।

दूसरा फौजी : अब घाव कैसा है ?

पहला फौजी : पहले से बेहतर है। तूम बताओ तुम्हे कितनी चोट आयी है ?

दूसरा फौजी : मेरे दाएँ पैर पर गोली लगी है और बाएँ  कंधे के पास से गोली छू कर निकली है।  फिलहाल चल नहीं पाऊँगा, तुम बताओ।

पहला फौजी : मेरे ढलान से गिरने के कारण और पाथर से टकराने के कारण सारे शरीर पर छोटी-मोटी चोट आयी है | लेकिन लग रहा है बाएँ पैर की हड्डी टूट गई है।  लगता है हमे किसी का इन्तज़ार करना पड़ेगा।

दूसरा फौजी : इस धुएँ के कारण कुछ दिख भी नहीं रहा है और अगर ऐसे शोर में हम मदद के लिए चिल्लायेंगे तो शयद ही किसी को सुनेगा।

पहला फौजी : मुझे तो बस इस युद्ध के खतम होने का इंतज़ार है।

दूसरा फौजी : क्यों ? घर जाने की जल्दी है।

पहला फौजी : हाँ ऐसा ही समझ लो ! बहन की शादी की तैय्यारियाँ चल रही थी कि शादी के एक दिन पहले खबर आती है। लड़के वालों ने रिश्ता तोड़ दिया और किसी और से रिश्ते की बात कर ली। ये बात सुनकर बहन ने ख़ुदकुशी करने की कोशिश की और माँ को दिल का दोहरा (हार्ट अटैक ) पड़ गया।
(रोते हुए बोलता है )
दोनों अस्पताल (हॉस्पिटल ) में है और पुरे घर की जिम्मेजारी मुझ पर आ गई की तभी जंग का एलान हो गया और अब यहॉँ हूँ।

दूसरा फौजी : सुनकर बहुत बुरा लगा।

पहला फौजी : तुम बताओ, तुम्हारे घर में कौन-कौन है ?

दूसरा फौजी :
सिर्फ मैं और मेरी पत्नी, जो की पेट से थी। कुछ दिन पहले ही लड़के को जन्म दिया। (रोते हुए ) लेकिन बच्चा कमज़ोर होने के कारण मर गया। पत्नी की तबीयत भी ख़राब है। वो अस्पताल में दाखिल है और मुझे भी तभी जंग में बुला दिया।

पहला फौजी : सुनकर बहुत बुरा लगा।

दूसरा फौजी : मैं तो ये चाहता हूँ कि जल्द से जल्द उठकर अपने सरे दुश्मनों को मारकर जंग जीतकर घर जाऊँ।

पहला फौजी : मैं भी होने दुश्मनों  का नामोनिशा मिटाना चाहता हूँ। मुझे तो लगता है की अपने घर वालों से मिलने की बेताबी के कारण ही अभी तक हम जिन्दा हैं।

दूसरा फौजी : हाँ ! आज ऊपर वाले ने हमे एक दूसरे की मदद के लिए बेजा था।


सुबह होने वाली थी और धुआँ भी लगभग छट चुका होता है।


पहला फौजी : चलो सुबह भी हो गई है। इस वक्त थोडा शांत लग रहा है। मुझे लग रहा है मैं चलने की हालत में हूँ, तुम बताओ अपना ?

दूसरा फौजी : मैं भी अब थोडा बहुत चल सकता हूँ। एक दूसरे का सहारा लेकर चलते हैं। तब तक तो कोई और फौजी भी मिल जाएगा।


वो दोनों एक साथ उठकर खडे होते हैं। जैसे ही दोनों एक दूसरे की तरफ देखते हैं। एक अजीब से असमंजस में पड़ जाते हैं। क्योंकि दोनों अलग अलग देश के फौजी थे।


                                                                                                                                     - नलिन सेमवाल 




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