क्या करे फौजी (ए )
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दो देशो के बीच युद्ध चल रहा था। कहीं तोप के गोले तो कहीं से बंदूक की गोलियों की आवाजें आ रही थी। बॉडर पर दोनों सेनाओं के सैनिक लड़ाई करने पर लगे हुए थे | रात का समय था गोलियों की आवाज के साथ-साथ गोला बारूद का धुँआ इतना ज्यादा था कि अपने सामने कोई खड़ा हो तो पता नहीं लगेगा। सभी फौजी अंदाजे के साथ अंधाधुन गोलियाँ चला रहे थे कि इतने में एक बम का गोला सेना की एक टुकड़ी के पास आकर गिरता है। कुछ फौजी तो मर जाते हैं और कुछ बचे हुए फौजी अपनी जान बचाने के लिये इधर-उधर भागते हैं। उसी हड़बड़ाहट में एक फौजी ढलान से लुढ़कता हुआ नीचे गिरता है और उसका सर एक पत्थर पर जाकर लगता है। उसका सर चकरा रहा होता है और बदन में दर्द हो रहा होता है। लेकिन उस दर्द से ज्यादा एक और दर्द था, अपने घर का, अपनी भूढी माँ का और बहन का जिन्हे वो घर छोड़ आया था। तभी उसे एक आवाज आती है : पानी-पानी ! उसके पैर में एक घाव होने के कारण वो चल कर इधर-उधर जा तो नहीं सकता था लेकिन मदद की पुकार सुनकर वो अपने पास पड़ी पानी की बोतल उछाल कर, आवाज की त...